Covid-19 and Education: कोरोना ने शारीरिक और मानसिक बीमारियों के साथ शिक्षा सत्र भी गिरा दिया है। हाल ही में हुई एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल के बाद स्कूली बच्चों के पढ़ने की क्षमता के साथ मैथ और साइंस कौशल को समझने की क्षमता में भारी गिरावट देखी गई है।
कोरोना से हर चौथा बच्चा रीडिंग और गणित विज्ञान में कमजोर साबित हो रहा है। एक स्टडी ने यह दावा किया है कि जिन देशों में कोरोना काल में स्कूल बंद होने पर छात्रों को अतिरिक्त शिक्षक सहायता दी उन्होंने इस टेस्ट से बेहतर स्कोर किया।
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साथ ही उन देशों के भी रिजल्ट आमतौर पर बेहतर आए जहां टीचर तक बच्चों की पहुंच आसान थी। वहीं इसके उलट जहां क्लास की छुट्टी के दौरान छात्र मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं वहां के छात्रों ने कम स्कोर किया। फोन पर हुई पढ़ाई के कारण बच्चों के पढ़ाई में कमी देखने को मिली है।
भारत में भी बच्चो की पढ़ाई में गिरावट देखने को मिली। कोरोना काल में भारत में पढ़ाई के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जाता था। जिस कारण यहां के बच्चे पढ़ाई के मामले में मैथ साइंस में कमजोर रह गए।
सर्वे में शामिल छात्रों में से चार में से औसतन एक बच्चे ने मैथ पढ़ने और विज्ञान के बुनियादी एल्गोरिदम का उपयोग व आसन लेसन को हल करने में समर्थ नहीं दिखे। इसके साथ ही अमीर दुनिया के बच्चों की मैथ के कैलकुलेशन को हल करने की क्षमता भी 20 साल पहले के सत्र पर पहुंच गई है।
सर्वे में शामिल देशों में से सबसे अधिक गिरावट जर्मनी, आइसलैंड, नीदरलैंड, नॉर्वे ,पोलैंड में मैथ विषय में विशेष रूप से देखी गई है। वहीं इसके उलट जिन देशों ने बेहतर प्रदर्शन किया उनमें सिंगापुर अव्वल रहा। यहां के छात्र बाकी देशों के मुकाबले औसतन 3 से 5 साल आगे आए। भारत में भी बच्चो की पढ़ाई में गिरावट देखने को मिली।