केंद्र सरकार ने 2014 में वन रैंक वन पेंशन को लागू करने की घोषणा की थी। इस नीति के तहत अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के सैनिकों की पेंशन राशि मे बड़ा अंतर नही होगा, चाहे वो कभी भी रिटायर हुए हो।
पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के तहत सशस्त्र बलों के पूर्व कर्मचारियों की पेंशन में 1 जुलाई 2019 से संशोधन को मंजूरी दी थी। फैसले के तहत बकाया राशि का भुगतान चार किस्तों में किया जाना था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दीपावली से पहले पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन के एरियर की तीसरी किस्त देने का निर्देश दिया है। राजनाथ सिंह ने यह फैसला लिया है कि यह किस्त दीपावली से पहले दी जाए। सेना के 25 लाख पूर्व सैनिकों को इसका लाभ मिलेगा।
रक्षा मंत्री क्रिया लेने सोशल मीडिया मंच एक पर पोस्ट किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय को स्पष्ट प्रणाली के माध्यम से पेंशन ले रहे पूर्व सैनिक कर्मियों को दीपावली से पहले वन रैंक वन पेंशन की तीसरी किस्त जारी करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा उन्होंने बैंक और अन्य एजेंसी के रक्षा पेंशनधारकों के लिए ऐसा करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा है कि बैंक और अन्य एजेंसी द्वारा भी वन रैंक वन पेंशन धारको को दिया जाए।
केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन के तहत अब तक 70000 करोड रुपए का भुगतान किया है। पीएम मोदी ने हाल ही में एक रैली में इसका जिक्र किया था। इस स्कीम से 25 लाख पूर्व सैनिकों को इसका लाभ मिलेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पूर्व सैनिकों के साथ था।
अदालत ने 28 फरवरी 2024 तक तीन सामान किस्तों में ओआरओपी बकाया का भुगतान करने को कहा था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि 6 लाख पारिवारिक पेंशन भोगियों और वीरता पुरस्कार विजेताओं को 30 अप्रैल 2023 तक सरकार द्वार इस स्कीम का बकाया भुगतान करना होगा।
देश की तीनों सेना के जो कर्मी 1 जुलाई 2014 से 30 जून 2019 तक सेवानिवृत हुए हैं, वह इस संशोधन के दायरे में आते हैं।
हर सैनिक की एरियर राशि अलग-अलग है। पिछले साल दिसंबर में अनुमान लगाया था कि 13 लाख से अधिक पेंशन धारक और पारिवारिक पेंशन धारक फैसले से लाभ ले पाएंगे।
सशस्त्र बलों के कर्मियों का आमतौर पर छोटा करियर होता है, क्योंकि लगभग 80% सैनिक 35 से 40 वर्ष की आयु के बीच सेवानिवृत हो जाते हैं। इसका मतलब है कि वह नागरिकों के मामले में सामान्य 60 साल की तुलना में बहुत कम उम्र में सेवानिवृत होते हैं।
इसलिए एक गरिमा पूर्ण जीवन जीने के लिए सैन्य कर्मियों के लिए पर्याप्त धन और सरकार के सहयोग की आवश्यकता होती है।
इस योजना से राजकोष पर भारी वित्तीय असर पड़ेगा। इस योजना से वार्षिक वित्तीय राशि 8000 से 10000 करोड़ के बीच रहने की उम्मीद है। यह राशि वेतन के हर संशोधन के साथ बढ़ती जाएगी।
सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन नीति लागू होने के बाद इस तरह की मांग अन्य अर्ध सैनिक बल जैसे सीआईएसएफ, असम राइफल्स आदि द्वारा भी की जा सकती है।