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शुभ दीपावली: उत्सव, कथाएं, लक्ष्मी पूजा और शुभ मुहूर्त

दीपावली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। जब दीपावली आती है, तो सरकारी अवकाश भी घोषित कर दिए जाते हैं। इस उत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है और लोग एक दूसरे से जानना चाहते हैं कि दीपावली की फिक्स डेट क्या है। आइए, हम इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।

दीपावली आने के बाद, हर साल एक सवाल मन में रहता है – दीपावली किस तारीख को मनाई जाएगी? यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। दीपावली धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक संपन्न होता है, यानी इसे लगभग 5 दिन तक मनाया जाता है। 11 नवंबर को धनतेरस के बाद, 12 नवंबर को छोटी दीपावली मनाई जाएगी और 13 नवंबर को बड़ी दीपावली होगी। 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 15 नवंबर को भाई दूज का त्योहार होगा।

Shubh Dipawali 2023 Date Shubh Muhurat Laxmi Pooja

दीपावली को लेकर कई पुरानी कहानियाँ प्रचलित हैं, जैसे कि भगवान श्रीराम का अयोध्या वापस लौटना और उनकी विजय के अवसर पर अयोध्या नगरी में दीपकों की रौशनी से उत्सव मनाना। इसके अलावा, एक और कहानी के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को वन्दन करते हुए उसका वध किया और उसके कृपा से सभी को मुक्ति दिलाई गई।

दीपावली के शुभ मुहूर्त के लिए:

  • प्रातःकाल 7:20 से 9:37 तक, वृश्चिक लग्न
  • दोपहर 1:24 से 2:55 तक, कुंभ लग्न
  • शाम 6 बजे से 7:57 तक, वृषभ लग्न (सभी को घरों में पूजा करनी चाहिए)
  • शाम 7:57 बजे से रात 10:10 तक, घरों में पूजा कर सकते हैं
  • अंतिम शुभ मुहूर्त, अर्धरात्रि में 12:28 से लेकर 2:45 तक, सिंह लग्न में है। (जो लोग पूजा करने में किसी कारण से रह जाएं, वे अंतिम मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं)

दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि

दीपावली की पूजा के लिए, लक्ष्मी जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें, जिस पर लाल वस्त्र बिछाया जाएगा। चौकी के मध्य में कुछ चावल रखें और फिर कलश स्थापित करें। कलश के बीच में तांबा, पीतल या चांदी का कलश भी रख सकते हैं। उसके बाद, कलश में जल भरें और उसमें फूल, चावल के कुछ दाने, एक धातु का सिक्का, और एक सुपारी रखें। कलश का मुख पांच आम के पत्तों से ढक दें। अब लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति को चौकी के मध्य में रखें, मूर्ति को कलश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा माना गया है। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें और भोग लगाने के लिए फल, मिष्ठान, आदि रखें। पूजा के लिए नोट या सिक्के भी रख सकते हैं।

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